Mirch ki kheti: हरी मिर्च (Green chilli) का उपयोग पूरी दुनिया में एक खाद्य पदार्थ के रूप में किया जाता है। इसका उत्पादन पूरे दुनिया में होता है।
बाजार में इसकी मांग सालभर रहती है। मिर्च का ज़ायका काफी तीखा होता है। इसका उपयोग अचार, मसाले, सब्जी, औषधीय और सॉस बनाने में होता है।
आपको बता दें, मिर्च में तीखापन कैप्साइसिन नामक एक तत्व के कारण होता है। हरी मिर्च की खेती (Mirch ki kheti) से किसान भाई कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
मिर्च (Chilli) का उपयोग कई प्रकार की दवाइयों बनाने में किया जाता है। कैप्साइसिन में कई दवाइयां बनाने वाले तत्व पाए जाते हैं। खासतौर पर कैंसररोधी और दर्द दूर करने वाले तत्व।
इसके अलावा इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, फॉस्फोरस और कैल्शियम समेत कई तरह के लवण पाए जाते है। यह खून को पतला करने और दिल की बीमारियों को दूर करने में भी मदद करती है।
तो आइए, द रूरल इंडिया के इस ब्लॉग में हरी मिर्च की खेती कैसे करें (Mirch ki kheti)? जानें।
भारत में मिर्च की खेती पर एक नजर
भारत में हरी मिर्च के मुख्य उत्पादन वाले राज्य आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उडीसा, तामिलनाडु और राजस्थान है। आपको बता दें, दुनिया में सबसे पहले हरी मिर्च की फसल का उत्पादन लैटिन अमेरिकी देश मैक्सिको और गवेटामाला में हुआ था।
भारत में हरी मिर्च 17वीं सदी में पुर्तगालियों के द्वारा गोवा लाई गई और इसके बाद इसकी पैदावार पूरे देश में बड़ी तेजी से फैल गई।
मिर्च की खेती के लिए जरूरी जलवायु
हरी मिर्च की खेती (Mirch ki kheti) के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त रहती है। वैसे इसकी खेती हर तरह की जलवायु में हो सकती है, लेकिन ज्यादा ठंड और ज्यादा गर्मी का मौसम दोनों ही हरी मिर्च की फसल के लिए हानिकारक होते है।
हालांकि इसके पौधे को करीब 100 सेन्टीमीटर वर्षा वाले क्षेत्रों में उगाया जा सकता है। इसके अलावा हरी मिर्च की फसल पर पाले का प्रकोप अधिक होता है। इसलिए इसे सर्द और बर्फीले इलाकों में उगाने से बचा जाना चाहिए।
मिर्च की खेती के लिए आवश्यक मिट्टी
हरी मिर्च की खेती (Mirch ki kheti) लगभग हर तरह की मिट्टी में की जा सकती है। अच्छी पैदावार के लिए हल्की उपजाऊ और पानी के अच्छे निकास वाली ज़मीन जिस में नमी हो, इसकी खेती के लिए अनुकूल होती है।
मिर्च की अच्छी पैदावार के लिए ज़मीन की पीएच छह-सात के औसत में अनुकूल होती है। इसके अलावा मिर्च की खेती के लिए जीवांशयुक्त दोमट या बलुई मिट्टी उपुयक्त होती है, जिसमें कार्बनिक पदार्थ की मात्रा अधिक हो।
हरी मिर्च की खेती करने का सही समय
हरी मिर्च की खेती (Mirch ki kheti) को साल में 3 बार उगाया जा सकता है। हालांकि देश के किसान ज्यादातर खरीब की फसल को महत्व देते है और इस ऋतु मे खेती का आंकड़ों मे रकबा भी काफी है।
हरी मिर्च की खेती (Mirch ki kheti) के लिए वर्षा ऋतु की फसल लेने के लिए सही समय जून-जुलाई का है।
दूसरी फसल लेने के लिए सितम्बर-अक्टूबर में बुआई कर देनी चाहिए। वहीं गर्मी के मौसम की फसल के लिए फरवरी-मार्च में बुआई कर दी जानी चाहिए।
हरी मिर्च की खेती की तैयारी कैसे करें (mirch ki kheti kaise karen)
मिर्च के खेत को तैयार करने के लिए पहले दो से तीन बार खेत की जुताई करें और भूमि को करीब पांच से छह बार जोतने के बाद पाटा फेरकर समतल बना लें। ध्यान रखें कि जुताई करते वक्त गोबर की अच्छी पकी हुई खाद करीब 300 से 400 क्विंटल मिट्टी में मिला देनी चाहिए। इसके बाद सही आकार की क्यारियां बना लें और फिर बीज बोएं।
हरी मिर्च की उन्नत किस्में
वैसे तो देश के अलग-अलग क्षेत्रों में वहां की जलवायु के हिसाब से मिर्च की किस्में की खेती की जाती है, तो हो सके तो किसान अपने क्षेत्र में प्रचलित मिर्ची की किस्मों की ही बुवाई करें। वैसे मौसम के हिसाब से हाइब्रिड उन्नत किस्म की मदद से खेती करें, तो ज्यादा अच्छा रहता है।
अधिक पैदावार देने वाली मिर्च की उन्नत किस्में और उनकी विशेषताएं
अर्का मेघना (Arka Meghna Chilli)
मिर्च की यह किस्म 50 से 55 दिन के बाद फल देना शुरू कर देती है। इसके फल गहरे हरे और 10 सेमी लंबे होते हैं। अर्का मेघना (Arka Meghna Chilli) किस्म से हरी मिर्च 30 से 35 टन और 5 से 6 टन सूखी लाल मिर्च प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है। आपको बता दें, यह किस्म चुर्निल आसित एवं वायरस के प्रति सहनशील है।
अर्का श्वेता (Arka Sweta)
मिर्च की यह किस्म 50 से 55 दिन के बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। अर्का श्वेता (Arka Sweta) किस्म 12 से 13 सेंटीमीटर लंबी होती है। इससे हरी मिर्च 30 से 40 टन और सूखी मिर्च 4 से 5 टन प्रति हेक्टेयर उपज मिल जाती है।
काशी सुर्ख (Kashi Surkh)
यह किस्म की तुड़ाई भी 50 से 55 दिनों के बाद शुरू हो जाती है। काशी सुर्ख (Kashi Surkh) के फल 10 से 12 सेंटीमीटर लंबे होते हैं। इससे हरी मिर्च 20 से 25 टन और सूखी मिर्च 3-4 टन मिल जाती है।
पूसा सदाबहार (Pusa Sadabahar Chilli)
मिर्च की यह किस्म 60 दिनों बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। पूसा सदाबहार (Pusa Sadabahar Chilli) के फल 6 से 8 सेंटीमीटर लंबे होते हैं। इसके गुच्छे में 12 से 14 फल होते हैं। इससे हरी मिर्च 40 से 45 टन और सूखी मिर्च 6 से 8 टन प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है।
हरी मिर्च की निम्न किस्मों को भी उन्नत माना जाता है।
शिमला मिर्च- पूसा दीप्ती, अर्का मोहिनी, अर्का गौरव, अर्का बसंत। आचार मिर्च- सिंधुर। कैप्सेसीन उत्पादन हेतु- अपर्ना, पचास यलो। इसके अलावा काशी अनमोल, काशी विश्वनाथ, जवाहर मिर्च-283, जवाहर मिर्च-218, अर्का सुफल। संकर किस्म की काशी अर्ली, काशी सुर्ख या काशी हरिता का चयन करें। वैसे देखा जाए तो इन दिनों पब्लिक सेक्टर की एचपीएच-1900, 2680, उजाला और यूएस-611, 720 संकर किस्में
हरी मिर्च की खेती के लिए सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन
हरी मिर्च की फसल अधिक पानी में नहीं उगाई जा सकती है। इसलिए सिंचाई आवश्यकतानुसार ही करें। ज्यादा पानी देने के कारण पौधे के हिस्से लंबे और पतले आकार में बढ़ते हैं और फूल गिरने लगते हैं। हालांकि सिंचाई की मात्रा और मिट्टी और मौसम की स्थिति पर निर्भर करता है। यदि पौधा शाम के चार बजे के करीब मुरझा रहा हो, तो इससे पता चलता है कि पौधे को सिंचाई की जरूरत है। फूल निकलने और फल बनने के समय सिंचाई बहुत जरूरी है। कभी भी खेत या नर्सरी में पानी न रूकने दें। इससे फसल में फंगस पैदा होने का खतरा होता है।
हरी मिर्च की खेती में लागत और कमाई
हरी मिर्च की खेती (Mirch ki kheti) भारत के विभिन्न राज्यों और पहाड़ी व मैदानी इलाकों में की जाती है। वैसे हरी मिर्च की खेती (Mirch ki kheti) मुख्यत: नगदी फसल के रूप में की जाती है। अगर किसान जलवायु क्षेत्र के अनुसार मिर्च की उन्नत किस्मों को उगाने के साथ ही फसल की सुरक्षा के उचित उपाय करे, तो लागत की तुलना में दोगुनी कमाई कर सकते हैं।
हरी मिर्च की एक एकड़ खेती की लागत औसतन 35-40 हजार रूपये आती है। इसमें इसकी औसतन उपज 60 क्विंटल तक हो जाती है। बाजार में यह 20 रुपये प्रति किलो के भाव से भी बिके, तो भी किसान को 35-40 हजार रुपये की लागत में करीब एक लाख 20 हजार रूपये मिलेंगे। यह फसल की लागत के दोगुना से भी ज्यादा हैं।
ये भी देखें-
ये तो थी, मिर्च की खेती (Mirch ki kheti) की बात। लेकिन, The Rural India पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी शेयर करें।