खाकी कैंपबेल बत्तख अंडा उत्पादन के मामले में बहुत ही अच्छी मानी जाती है। इस बत्तख को वाईट रन्नर और मलार्ड बत्तखों से विकसित किया गया है।
खाकी कैंपबेल नस्ल आमतौर पर बहुत मजबूत होती है। इस नस्ल में रोग आदि ज्यादा नहीं होते हैं।
बदलते मौसम का भी इस पर कुछ खास असर नहीं होता। इस नस्ल को आमतौर पर अंडा उत्पादन के लिए ही पाला जाता है।
खाकी कैंपबेल नस्ल का रंग खाकी होता है। नर बत्तख की पीठ का निचला हिस्सा भूरा तांबे रंग का होता है। चोच हरे रंग की होती है।
पंजे और टांग गहरे संतरे रंग की होती हैं। मादा बत्तख का सिर और गर्दन भूरे रंग की होती है। नर बत्तख का वजन 2.2 से 2.4 किलो होता है। मादा बत्तख का वजन 2.0 से 2.2 किलो होता है।
यह नस्ल 6 महीने में अंडे देने लगती है। आमतौर पर एक साल में 300 अंडे तक देती है। अंडे का वजन 65 से 70 ग्राम तक होता है।
खाकी कैंपबेल नस्ल 2 से 3 साल तक अंडे देती है। 3 साल के बाद इसे मांस के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
मुर्गी पालन की बजाय खाकी कैंपबेल बत्तख से अच्छी कमाई कर सकते हैं। 100 बत्तखों से सालभर में खर्च निकालकर आप 2 से 3 लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं।