हमारे देश में मुर्गी पालन तेज़ी से बढ़ता हुआ व्यवसाय है। किसानों को इससे अतिरिक्त आय प्राप्त होती है।
कम लागत में मुर्गी पालन की एक तकनीक है- बैकयार्ड मुर्गी पालन
अंडे और मांस की बढ़ती मांग को देखते हुए बैकयार्ड मुर्गी पालन कम पूंजी में मोटी कमाई और रोजगार का एक बेहतर विकल्प साबित हो रहा है।
बैकयार्ड मुर्गी पालन व्यवसाय छोटे और सीमांत किसानों के लिए काफी फायदेमंद है।
बैकयार्ड मुर्गी पालन को खेती के साथ और कम लागत में शुरू किया जा सकता है।
बैकयार्ड मुर्गी पालन की शुरुआत घर के पीछे या आंगन में खाली पड़ी जगह में की जा सकती है।
अगर कोई किसान बैकयार्ड पोल्ट्री व्यवसाय शुरू करना चाहता है तो देसी नस्लें बेहतर होती हैं।
कड़कनाथ, असील, अंकलेश्वर, श्रीनिधि, वनराजा, धनराजा, कालाहांडी, कलिंग ब्राउन, पंजाब ब्राउन जैसी देसी प्रजातियां बैकयार्ड मुर्गी पालन व्यवसाय के लिए बेहतर मानी जाती हैं।
बैकयार्ड में पाली जाने वाली मुर्गियों पर अनाज का खर्चा भी ज़्यादा नहीं पड़ता। खुले में पालन करने पर आहार का खर्चा आधी हो जाती है।
बैकयार्ड पोल्ट्री फ़ार्म की शुरुआत 20 से 30 मुर्गियों से शुरू किया जा सकता है।
इस व्यवसाय को महिलाएं घर के कामकाज के साथ-साथ करते हुए अतिरिक्त आमदनी का ज़रिया भी बना सकती हैं।