अनानास की खेती से होगी लाखों की कमाई

यहां जानें, खेती का तरीका

अनानास पर एक नजर

अनानास एक कैक्टस प्रजाति का पौधा है। अनानास की खेती में सिंचाई की आवश्यकता कम होती है। अनानास खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं। इसका सेवन करने से तनाव को कम करने में मदद मिलती है।

इन राज्यों में होती है खेती

भारत में अनानास की खेती केरल, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, असम, और मिजोरम राज्य में प्रमुखता से की जाती है, जो अब धीरे-धीरे उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में भी लोकप्रिय हो रहा है।

खेती का सही समय

अनानास की खेती के लिए उपयुक्त समय जनवरी से मार्च तक का होता है। इसके अलावा मई से जुलाई के मध्य भी अनानास की खेती की जा सकती है। नमीयुक्त जलवायु में 12 महीने अनानास की खेती की जा सकती है।

जलवायु

इसके लिए गर्म नमी वाली गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके लिए 20 से 35 डिग्री का तापमान बेहतर होता है। अनानास की खेती के लिए वार्षिक वर्षा 100-150 सेंटीमीटर की आवश्यकता होती है।

मिट्टी

बलुई दोमट मिट्टी अनानास की खेती के लिए सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीएच मान 5 से 6 के मध्य होना चाहिए।

रोपाई का तरीका

रोपाई के लिए अनानास का ऊपरी भाग उपयोग में लाया जाता है। बीजों की रोपाई के लिए खेत में मेड या कतार का प्रयोग करें। कतार से कतार की दूरी को 60-70 सेंटीमीटर रखें।

सिंचाई प्रबंधन

अनानास की फसल को पानी की आवश्यकता कम होती है। फसल में 15 दिन के अंतराल पर ही पानी लगाएं। सिंचाई ड्रिप इरिगेशन विधि के माध्यम से करें।

उर्वरक प्रबंधन

रोपाई से पहले गढ्ढों को 5 किलोग्राम गोबर की खाद का प्रयोग करें। पौधों को प्रतिवर्ष 270 किलो अमोनियम सल्फेट, 130 किलोग्राम फास्फोरस और 270 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ की दर से दें।

उत्पादन

एक हेक्टेयर खेत में 15 से 18 हजार पौधे लगाए जा सकते हैं। इससे किसानों को 3 से 4 टन अनानास का उत्पादन होता है।

कमाई

अनानास की प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज में भी काफी अच्छी मांग है। एक फल लगभग 1 से 3 किलो तक का होता है। जिसका मूल्य बाजार में 150-200 रुपए तक आसानी से मिल जाता है। अतः किसान अन्य फसलों की तुलना में अनानास की खेती से अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।